Thursday, November 11, 2010

मीडिया जगत


    आज जहां देखो मीडिया जगत की किरकिरी हो रही है.... सुबह-2 जब भी मै पास वाले ढ़ाबे पर चाय पीने जाता हूं... तो कभी- कभी कोई पास वाले भाई साहब न्यूज़ पेपर पढ़ते हुए बोलते हैं कि आज पेपर में कुछ भी तो खास नहीं है... बस पेपर तो पूरा एडवरटाइज़ से भरा हुआ है... पेपर और चैनल की किरकिरी आज आपको किसी भी गली या नुक्कड़ में सुनने को मिल सकती है.... पूछे जाने पर वजह बताते है कि चैनल किसी भी चीज को इतना ज्यादा बढ़ाचढ़ा कर पेश करता है कि लोगों को लगता है कि ये फ़ेक रहा है...और वहीं न्यूज़ पेपर तो एड के लिये निकाले जाते हैं....पूरे पेपर में ख़बरों से ज्यादा तो एड होते हैं.... मै जब भी कहीं ये शब्द सुनता हूं तो बस सोचता हूं कि क्या ये सच है ? क्यों कि मै खुद एक टीवी चैनल में काम कर रहा हूं और इतना तो पता है कि मीडिया अपने दर्शको को जगत में हो रही है हलचल से रूबरू कराने के लिये कई तरह के प्रयत्न करता है.... और एक खबर पाने के लिये वह कितनी मेहनत करता है... लेकिन मै जरूर मानता है कि टीआरपी का दबाब मीडिया पर लगातार बढ़ता ही जा रहा है... जिससे कि एक्सक्लूसिव खबरों पर ज्यादा तवज़्ज़ो देता है... लेकिन खबरों की अहमियत को भी वह बखूबी समझता है... इसीलिए दर्शक जो ज्यादा देखना पसंद करते हैं... टीवी चैनल भी वही दिखाता है.... अगर हम बॉलीवुड की बात करें तो आज फिल्मों में भी वही दिखता है.... जो लोग देखना पसंद करते हैं.... हालांकि फिल्मों के हिट या फ्लॉप करने की चाभी दर्शकों के हाथ में रहती है... उसी तरह से न्यूज़ चैनल भी वहीं दिखाते हैं जो आप देखना चाहते हैं। फिर इस तरह के सवाल क्यों और किसलिए ?  अरे भाई !  अगर रही विज्ञापनों की बात तो विज्ञापनों से ही मीडिया जगत की रोटी चलती है.... तो फिर इतने सवाल क्यों ?

1 comment:

  1. शुक्रिया मित्र, दुधवा लाइव आप सभी के उत्साहजनक सन्देशों के बलबूते ही अपनी राह पर निरन्तरता बनाये हुए है, ---कृष्ण

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